सल्यान (नेपाल)– श्री त्रिभुवन जन माध्यमिक विद्यालय सल्यान नेपाल नेपाल में नैतिक मूल्य पर कार्यक्रम
आयोजक –स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र (सल्यान ) नेपाल
मुख्य वक्ता —ब्रह्मकुमार भगवान् भाई माउंट आबू
विषय –- नैतिक मूल्य का जीवन में महत्व
प्राचार्य –श्री
बी के बहन स्थानीय ब्रह्माकुमारी सल्यान (नेपाल )
बी के भगवान् भाई ने कहा कि आध्यात्मिकता को नजरअंदाज किए जाने का ही परिणाम ही है कि आज समाज में नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है। नैतिकता से व्यक्तित्व का विकास संभव है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से आए राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई वे श्री त्रिभुवन जन माध्यमिक विद्यालय सल्यान नेपाल में नैतिक शिक्षा पर छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश व प्रदेशों में अनेक शैक्षणिक संस्था समर्पित भाव से काम करने के बावजूद आज समाज की यह स्थिति बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि स्कूल से ही समाज के हर क्षेत्र में व्यक्ति जाता है अगर समाज के हर क्षेत्र को सुधारना है तो वर्तमान के छात्र-छात्राओं को नैतिक शिक्षा देने की आवश्कता है। आज बच्चा कल का भावी समाज है। उन्होंने कहा कि सद्गुणों की शिक्षा से ही सदव्यवहार में बदलाव लाया गया जा सकता है। अवगुणों के कारण मानव, मानव में आसूरी प्रवृत्ति पनपती है। नैतिक शिक्षा से ही छात्र-छात्राओं में सशक्तिकरण आ सकता है। उन्होंने आगे बताया कि नैतिकता के बिना जीवन अंधकार में हैं। नैतिक मूल्यों की कमी के कारण अज्ञानता, सामाजिक, कुरीतियां व्यसन, नशा, व्यभिचार आदि के कारण समाज पतन की ओर जाता है। उन्होंने कहा कि जब तक नैतिक मूल्यों से समाज को जागृत नहीं करते तब तक समाज में फैला हुआ अज्ञानता का अंधकार नहीं मिट सकता। वर्तमान परिवेश में सहनशीलता, नम्रता, मधुरता, गंभीरता, ईमादारी, धैर्यता, शांति आदि सद्गुणों की समाज के हर व्यक्ति को बहुत जरूरी है। इन सद्गुणों के आचरण से ही मानव मन में फैले हुए अनेक दुर्गुणों का नाश हो सकता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता ही नैतिक मूल्यों का स्रोत है। स्वयं को जानना कर्मगति को जानना, सृष्टि के हर प्राणाी मात्र से दया करना, आपस में भाईचारे से रहना ही अध्यात्मिकता है। उन्होंने बताया कि नैतिक पतन विनाश की ओर की ओर ले जाता है। इसीलिए मूल्यों की रक्षा करना ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है। स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग केंद्र की बीके बहन इस अवसर पर कहा कि राजयोग के द्वारा ही हम अपनी इंद्रियों पर संयम कर जीवन के मूल्यों को धारण कर सकते हैं।