बी के भगवान भाई ने स्कुलो में और जेलों (कारागार) में पढ़ाया नैतिक मूल्यों का पाठ


भगवान् भाई ने कहा की मनुष्य जैसा कर्म करता है वैसा उसका फल मिलता है कर्मो से ही व्यक्ति महान बनता या कंगाल भी बनता है। उन्होंने बताया कि वाल्मिकी रामायण लिखने से पूर्व डाकू थे। उन्होंने रामायण ग्रंथ को लिखकर अच्छा कर्म कर महानता हासिल की है। मनुष्य को बड़े कर्म का बड़ा फल मिलता है।
साथ ही व्यक्ति को अपने अंदर देखकर जीवन के उद्देश्य की पहचान करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जीवन की हर घटना के पीछे कुछ न कुछ कल्याण होता है। मनुष्य को अपना मन प्रभु चिंतन में लगाना चाहिए। व्यक्ति को हर घटना पर जो हुआ अच्छा हुआ, जो होगा वह भी अच्छा होगा और जो हो रहा ह,ै वह अच्छा हो रहा है जैसी सोच रखनी चाहिए।
राजयोग केन्द्र के बी.के. मेघराज भाई ने कहा कि मनुष्य को कभी भी अपने उद्देश्य से भटकना नहीं चाहिए। जब तक मनुष्य अपने आप को नहीं पहचान सकता, तब तक वह भटकता रहता है। मनुष्य अपनी इंद्रियों को वश में करके ही सही मार्ग पर चल सकता है। कारगर सुरक्षा गार्ड ओम बी गिरी ने कहा क्रोध से आंतरिक रूप से अकेला, बेसहारा, कमजोर, अपमान जनक महसूस करता है। साथ ही मनुष्य की शांति एकाग्रता भंग हो जाती है। मनोबल बढ़ाने के लिए मनुष्य को मानसिक कसरत करना जरूरी है। जीवन में परिस्थिति आएगी लेकिन धैर्यता जरूरी है समस्या को शं करने से महान बनते है