विषय -–जीवन में नैतिक शिक्षा का महत्व

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बच्चों के समुचित विकास के लिए किताबी शिक्षा के साथ ही नैतिक शिक्षा भी जरूरी है। इसके बिना सर्वांगीण विकास संभव नहीं है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, माउंट आबू से आए राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने अखिल भारतीय शैक्षणिक अभियान के अंतर्गत छत्तीसगढ़ स्कूल में स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं के लिए जितना जरूरी पढ़ाई है, उतना ही जरूरी नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना है। नैतिक मूल्यों की कमी व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है। अत: शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों का मूल्यांकन, आचरण, अनुसरण, व्यावहारिक ज्ञान, लेखन एवं अन्य बातों की तरफ प्रेरणा देने की जरूरत है। इस तरह भी बच्चे अपना संपूर्ण विकास कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि जो शिक्षा बच्चों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बंधनों से मुक्ति की ओर ले जाए वही वास्तविक शिक्षा है। अपराध मुक्त समाज की स्थापना के लिए मानवीय मूल्यों, नैतिक मूल्यों, नैतिक शिक्षा एवं आध्यात्मिक शिक्षा के द्वारा वर्तमान के युवाओं को सशक्त व संस्कारित करना जरूरी है। आज का युवा कल का भावी समाज है। वर्तमान का सशक्त युवा भविष्य के समाज को सशक्त बना सकता है। वर्तमान समय कुसंग, सिनेमा, व्यसन और फैशन से युवा पीढ़ी भटक रही है। बच्चे सही और गलत का अंतर नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह से कई बार बच्चे गलत राह पर भी चले जाते हैं।

आध्यात्मिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा के द्वारा युवा पीढ़ी को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सिनेमा, इन्टरनेट व टीवी के माध्यम से युवा पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता है। युवा पीढ़ी को कुछ रचनात्मक कार्य सिखाएं तब उनकी शक्ति सही उपयोग में ला सकेंगे। इस तरह उनकी उर्जा सकारात्मक दिशा मिलेगी। आज की युवा पीढ़ी को सकारात्मक, सृजनात्मक, निर्माणात्मक, क्रियात्मक बनने की आवश्यकता है।

इस मौके पर स्वदर्शन भवन राजयोग केंद्र की संचालक बीके सविता बहन ने कहा कि भौतिक शिक्षा से भौतिकता की प्राप्ति होती है। अगर चरित्र निर्माण करना हो तो संस्कारवान शिक्षा की जरूरत है। इस मौके पर बीके रामनाथ भाई, बीके महेश भाई, बीके नकुल भाई, बीके इंद्रा बहन सहित बड़ी संख्या में स्कूल स्टाफ व छात्र-छात्राएं शामिल थे।

विषय -–जीवन में नैतिक शिक्षा का महत्व

इस अवसर पर राजयोगी बी.के. भगवान भाई ने कहा कि गुणवान व्यक्ति देश की सम्पति हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियोंं के सर्वांगिण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता हैँ। चरित्र निर्माण ही शिक्षा का मूल उद्देश्य होता हैं।
उन्होंने कहा कि भोतिक शिक्षा भौतिकता की ओर धकेल रही भौतिक शिक्षा की बजाय इंसान को नैतिक शिक्षा की आवश्यकता हैं। उन्होंने समाज में मूल्यों की कमी हर समस्या का मूल कारण हैं। इसलिए विद्यार्थियों को मूल्यांकन,आचरण,अनुकरण,लेखन,व्यवहारिक ज्ञान इत्यादि पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि अज्ञान रूपी अंधकार अथवा असत्य से ज्ञान रूपी प्रकाश अथवा सत्य की ओर ले जाए,वहीं सच्चा ज्ञान हैं।
उन्होंने कहा कि जब तक हमारे व्यवहारिक जीवन में परोपकार,सेवाभाव,त्याग,उदारता,पवित्रता,सहनशीलता,नम्रता,धैर्यता,सत्यता,ईमानदारी, आदि सद्गुण नहीं आते। तब तक हमारी शिक्षा अधूरी हैं। उन्होंने कहा कि समाज अमूर्त होता हैं और प्रेम,सद्भावना,भातृत्व,नैतिकता एवं मानवीय सद्गुणों से सचालित होता हैं।
भगवान भाई ने कहा कि हमें अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता हैं। दृष्टिकोण सकारात्मक रहने पर मनुष्य हर परिस्थिति में सुखी रह सकता हैं। उन्होंने व्यसनों से दूर रहने पर भी जोर दिया। स्थानीय राजयोग केन्द्र बी के सुमन बहन ने कहा कि आध्यात्मिकता अपनाने पर जीवन में नैतिक मूल्यों का प्रवेश संभव हैं। प्रिंसिपल -श्री रविश चन्द्र पांडे जी ने भी नैतिक शिक्षा का महत्व बताया।

नैतिक शिक्षा का महत्व

भगवान् भाई ने कहा की कि शैक्षणिक जगत में विद्यार्थियों के लिए नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों की कमी यही व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान व अन्य बातों के लिए प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बन्धनों से मुक्ति की ओर ले जाए वही शिक्षा है। उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समाज के लिए संस्कारित शिक्षा जरूरी है।
है।

नैतिक मूल्यों से व्यक्तित्व में निखार

इस अवसर पर बी के भगवान् भाई ने कहा कि सुखी जीवन के लिए भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा भी जरूरी है। भौतिकशिक्षा से हम रोजगार प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन परिवार, समाज, कार्यस्थल में परेशानी या चुनौती का मुकाबला नहीं कर सकते।उक्त उद्गार ब्रह्माकुमारी माउंट आबू के बी के भगवान् भाई ने कहा नैतिक मूल्यों का महत्व विषय पर बोलते हुए कहा उन्होंने कहा की नैतिक मूल्यों से व्यक्तित्व में निखार, व्यवहार में सुधार आता है।नैतिक मूल्यों का ह्रास व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय समस्या का मूल कारण है। समाज सुधार के लिए नैतिक मूल्य जरूरी है।उन्होंने कहा कि नैतिक शिक्षा की धारणा से, आंतरिक सशक्तीकरण से इच्छाओं को कम कर भौतिकवाद की आंधी से बचा जा सकता है। व्यक्ति का आचरण उसकी जुबान से ज्यादा तेज बोलता है। लोग जो कुछ आंख से देखते हैं। उसी की नकल करते हैं। जब तक हम अपने जीवन में मूल्यों और प्राथमिकता का निर्धारण नहीं करेंगे, अपने लिए आचार संहिता नहीं बनाएंगे तब तक हम चुनौतियों का मुकाबला नहीं कर सकते। चरित्र उत्थान और आंतरिक शक्तियों के विकास के लिए आचार संहिता जरूरी है। उन्होंनेे अंत में नैतिक मूल्यों का स्रोत आध्यमित्कता को बताया। जब तक आध्यात्मिकता को नहीं अपनाएंगे जीवन में मूल्यों की धारणा संभव नहीं है।

विषय –नैतिक मूल्य से व्यक्तित्व विकास

भगवान् भाई ने कहा कि भौतिक शिक्षा से हम रोजगार प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन परिवार, समाज, कार्यस्थल में परेशानी या चुनौती का मुकाबला नहीं कर सकते उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों से व्यक्तित्व में निखार, व्यवहार में सुधार आता है।नैतिक मूल्यों का ह्रास व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय समस्या का मूल कारण है। समाज सुधार के लिए नैतिक मूल्य जरूरी है।उन्होंने कहा कि नैतिक शिक्षा की धारणा से, आंतरिक सशक्तीकरण से इच्छाओं को कम कर भौतिकवाद की आंधी से बचा जा सकता है। व्यक्ति का आचरण उसकी जुबान से ज्यादा तेज बोलता है। लोग जो कुछ आंख से देखते हैं। उसी की नकल करते हैं।
हमारे जीवन में श्रेष्ठ मू््ल्य है तो दूसरे उससे प्रमाणित होते हैं।जीवन में नैतिक मूल्य होंगे तो आदमी लालच, हिंसा, झूठ, कपट का विरोध
करेगा और समाज में परिवर्तन आएगा। उन्होंने कहा नैतिकता से मनोबल कम होता है। मूल्यों की शिक्षा से ही हम जीवन में विपरीत परिस्थिति का सामना कर
सकते हैं। जब तक हम अपने जीवन में मूल्यों और प्राथमिकता का निर्धारण नहीं करेंगे, अपने लिए आचार संहिता नहीं बनाएंगे तब तक हम चुनौतियों का
मुकाबला नहीं कर सकते।

विषय –- नैतिक मूल्यों का जीवन में महत्व

कहा कि विद्यार्थियोंं के सर्वांगिण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता हैँ। चरित्र निर्माण ही शिक्षा का मूल उद्देश्य होता हैं।
उन्होंने कहा कि भौतिकता की ओर धकेल रही भौतिक शिक्षा की बजाय इंसान को नैतिक शिक्षा की आवश्यकता हैं। उन्होंने समाज में मूल्यों की कमी हर समस्या का मूल कारण हैं। इसलिए विद्यार्थियों को मूल्यांकन,आचरण,अनुकरण,लेखन,व्यवहारिक ज्ञान इत्यादि पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि अज्ञान रूपी अंधकार अथवा असत्य से ज्ञान रूपी प्रकाश अथवा सत्य की ओर ले जाए,वहीं सच्चा ज्ञान हैं।
उन्होंने कहा कि जब तक हमारे व्यवहारिक जीवन में परोपकार,सेवाभाव,त्याग,उदारता,पवित्रता,सहनशीलता,नम्रता,धैर्यता,सत्यता,ईमानदारी, आदि सद्गुण नहीं आते। तब तक हमारी शिक्षा अधूरी हैं। उन्होंने कहा कि समाज अमूर्त होता हैं और प्रेम,सद्भावना,भातृत्व,नैतिकता एवं मानवीय सद्गुणों से सचालित होता हैं।
भगवान भाई ने कहा कि हमें अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता हैं। दृष्टिकोण सकारात्मक रहने पर मनुष्य हर परिस्थिति में सुखी रह सकता हैं। उन्होंने व्यसनों से दूर रहने पर भी जोर दिया।

गुणवान व्यक्ति देश की सम्पति हैं- भगवान भाई

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय आबू पर्वत के राजयोगी बी.के. भगवान भाई ने कहा कि गुणवान व्यक्ति देश की सम्पति हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियोंं के सर्वांगिण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता हैँ। चरित्र निर्माण ही शिक्षा का मूल उद्देश्य होता हैं।
उन्होंने कहा कि भौतिकता की ओर धकेल रही भौतिक शिक्षा की बजाय इंसान को नैतिक शिक्षा की आवश्यकता हैं। उन्होंने समाज में मूल्यों की कमी हर समस्या का मूल कारण हैं। इसलिए विद्यार्थियों को मूल्यांकन,आचरण,अनुकरण,लेखन,व्यवहारिक ज्ञान इत्यादि पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि अज्ञान रूपी अंधकार अथवा असत्य से ज्ञान रूपी प्रकाश अथवा सत्य की ओर ले जाए,वहीं सच्चा ज्ञान हैं।
उन्होंने कहा कि जब तक हमारे व्यवहारिक जीवन में परोपकार,सेवाभाव,त्याग,उदारता,पवित्रता,सहनशीलता,नम्रता,धैर्यता,सत्यता,ईमानदारी, आदि सद्गुण नहीं आते। तब तक हमारी शिक्षा अधूरी हैं। उन्होंने कहा कि समाज अमूर्त होता हैं और प्रेम,सद्भावना,भातृत्व,नैतिकता एवं मानवीय सद्गुणों से सचालित होता हैं।
भगवान भाई ने कहा कि हमें अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता हैं। दृष्टिकोण सकारात्मक रहने पर मनुष्य हर परिस्थिति में सुखी रह सकता हैं। उन्होंने व्यसनों से दूर रहने पर भी जोर दिया।

नैतिक शिक्षा से ही सर्वागीण विकास —भगवान भाई माउंट आबू

भास्कर न्यूज & नवापारा-राजिम
मनुष्य के द्वारा आध्यात्मिकता को नजरअंदाज किए जाने का ही परिणाम ही है कि आज समाज में नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है। नैतिकता से व्यक्तित्व का विकास संभव है।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से आए राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई अखिल भारतीय शैक्षणिक अभियान में फूलचंद अग्रवाल महाविद्यालय में नैतिक शिक्षा पर छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश व प्रदेशों में अनेक शैक्षणिक संस्था समर्पित भाव से काम करने के बावजूद आज समाज की यह स्थिति बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि स्कूल से ही समाज के हर क्षेत्र में व्यक्ति जाता है अगर समाज के हर क्षेत्र को सुधारना है तो वर्तमान के छात्र-छात्राओं को नैतिक शिक्षा देने की आवश्कता है। आज बच्चा कल का भावी समाज है। उन्होंने कहा कि सद्गुणों की शिक्षा से ही सदव्यवहार में बदलाव लाया गया जा सकता है। अवगुणों के कारण मानव, मानव में आसूरी प्रवृत्ति पनपती है। नैतिक शिक्षा से ही छात्र-छात्राओं में सशक्तिकरण आ सकता है। उन्होंने आगे बताया कि नैतिकता के बिना जीवन अंधकार में हैं। नैतिक मूल्यों की कमी के कारण अज्ञानता, सामाजिक, कुरीतियां व्यसन, नशा, व्यभिचार आदि के कारण समाज पतन की ओर जाता है। उन्होंने कहा कि जब तक नैतिक मूल्यों से समाज को जागृत नहीं करते तब तक समाज में फैला हुआ अज्ञानता का अंधकार नहीं मिट सकता। वर्तमान परिवेश में सहनशीलता, नम्रता, मधुरता, गंभीरता, ईमादारी, धैर्यता, शांति आदि सद्गुणों की समाज के हर व्यक्ति को बहुत जरूरी है। इन सद्गुणों के आचरण से ही मानव मन में फैले हुए अनेक दुर्गुणों का नाश हो सकता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता ही नैतिक मूल्यों का स्रोत है। स्वयं को जानना कर्मगति को जानना, सृष्टि के हर प्राणाी मात्र से दया करना, आपस में भाईचारे से रहना ही अध्यात्मिकता है। उन्होंने बताया कि नैतिक पतन विनाश की ओर की ओर ले जाता है। इसीलिए मूल्यों की रक्षा करना ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है। स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग केंद्र की बीके पुष्पा ने इस अवसर पर कहा कि राजयोग के द्वारा ही हम अपनी इंद्रियों पर संयम कर जीवन के मूल्यों को धारण कर सकते हैं। यहां अध्यक्ष मनमोहन अग्रवाल भी उपस्थित थे। भीलवाड़ा से आई बीके इंद्रा बहन ने राजयोग सिखाया।

नैतिक शिक्षा से बेहतर समाज

खरगोन (मध्यप्रदेश) में कालेज में नैतिक मूल्य और सकारत्मक चिन्तन पर प्रोग्राम