श्रीनगर (उत्तराखंड ) —एस टी ठेरेसास में नैतिक मूल्य पर कार्यक्रम
आयोजक –स्थानीय ब्रह्माकुमारीज श्रीनगर (उत्तराखंड )
मुख्य वक्ता —बी के भगवान् भाई माउंट आबू
विषय –नैतिक मूल्यों से व्यक्तित्व विकास
बी के पूनम बहन राजयोग शिक्षिका श्रीनगर उत्तराखंड
प्रभारी बी के उषा बहन असंध हरियाणा
प्रिंसिपल —सिस्टर एस आर लिंना
सहायक शिक्षिका —श्रीमति मीना कंडारी
बी के तेजस भाई असंध हरियाणा
भगवान भाई ने कहा कि गुणवान व्यक्ति देश की सम्पति हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियोंं के सर्वांगिण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता हैँ। चरित्र निर्माण ही शिक्षा का मूल उद्देश्य होता हैं।
उन्होंने कहा कि भोतिक शिक्षा भौतिकता की ओर धकेल रही भौतिक शिक्षा की बजाय इंसान को नैतिक शिक्षा की आवश्यकता हैं।नैतिक शिक्षा से नैतिकता आएगी | उन्होंने कहा नैतिक मूल्यों की कमी ही समाज के हर समस्या का मूल कारण हैं। इसलिए विद्यार्थियों को मूल्यांकन,आचरण,अनुकरण,लेखन,व्यवहारिक ज्ञान इत्यादि पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि अज्ञान रूपी अंधकार अथवा असत्य से ज्ञान रूपी प्रकाश अथवा सत्य की ओर ले जाए,वहीं सच्चा ज्ञान हैं।
उन्होंने कहा कि जब तक हमारे व्यवहारिक जीवन में परोपकार,सेवाभाव,त्याग,उदारता,पवित्रता,सहनशीलता,नम्रता,धैर्यता,सत्यता,ईमानदारी, आदि सद्गुण नहीं आते। तब तक हमारी शिक्षा अधूरी हैं। उन्होंने कहा कि समाज अमूर्त होता हैं और प्रेम,सद्भावना,भातृत्व,नैतिकता एवं मानवीय सद्गुणों से सचालित होता हैं।
भगवान भाई ने कहा कि हमें अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता हैं। दृष्टिकोण सकारात्मक रहने पर मनुष्य हर परिस्थिति में सुखी रह सकता हैं। उन्होंने व्यसनों से दूर रहने पर भी जोर दिया।
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जेल में पढ़ाया कर्मो की गुह्य गति का पाठ
इस अवसर पर बी के भगवान् भाई ने कहा मनुष्य को बड़े कर्म का बड़ा फल मिलता है।साथ ही व्यक्ति को अपने अंदर देखकर जीवन के उद्देश्य की पहचान करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जीवन की हर घटना के पीछे कुछ न कुछ कल्याण होता है। मनुष्य को अपना मन प्रभु चिंतन में लगाना चाहिए। व्यक्ति को हर घटना पर जो हुआ अच्छा हुआ, जो होगा वह भी अच्छा होगा और जो हो रहा ह,ै वह अच्छा हो रहा है जैसी सोच रखनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कारागृह के इस एकांत स्थान पर बैठकर स्वयं को परिवर्तन करनेके लिए सोचों कि मैं इस संसार में क्यों आया हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या हैं, मुझे परमात्मा ने किस उद्देश्य से यहां भेजा है? मैं यहां आकर क्या
कर रहा हूं। ऐसी बातों का चिंतन करने से संस्कार, व्यवहार परिवर्तन होगा। उन्होंने कहा कि यह कारागृह आपके जीवन को सुधार लाने हेतु तपोस्थल है।
भगवान भाई ने युवा कैदियों को कहा कि बदला लेने केबजाय स्वयं को ही बदलकर दिखाने की प्रवृति रखनी है। उन्होंने कहा कि हम किसके बच्चे हैं? जिस
परमात्मा के हम बच्चे हैं, वह तो शांति का सागर, दयालू, कृपालू, क्षमा का सागर है। हम स्वयं को भूलने से ऐसी गलतियां कर बैठते हैं। उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई कर्म नकरें जिस कारण धर्मराज पूरी मेंहमें सिर झुकाना पडेÞ, पछताना पडेÞ, रोना पडेÞ। अवगुण या बुराईयां बसी हैं। उसे दूर भगाना हैं, ईर्ष्या करना, लड़ना, झगड़ना, चोरी करना, लोभ, लालच, यह तो हमारे दुश्मन हैं। जिसके अधीन होने से हमारे मान, सम्मान को चोट पहुंचती हैं।बुराईयां दूर करना तो आदर्श इंसान की पहचान हैं। इन अवगुणों ने और बुराईयों ने हमें कंगाल बनाया इससे दूर रहना है।जीवन में नैतिक मूल्यों
की धारणा करने की आवश्यकता है। जीवन में सद्गुण न होने केकारण ही समस्याएं पैदा होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल होता है। उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ ऐसा ही नहीं गंवाना चाहिए। मजबूरी को परीक्षा समझकर उसे धैर्यता और सहनशीलता से पार करते हैं, तो अनेक दुख और धोखे से बच सकते हैं। जीवन में परिवर्तन लाकर श्रेष्ठ चरित्रवान बनने का लक्ष्य रखना है। तब कारागार आपके लिए सुधारगृहसाबित होगा। अंग्रेजों को खदेड़कर
बाहर निकाला ठीक उसी प्रकार हमें अपने आंतरिक बुराईयों को निकालना हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने यह देश हमारेलिए स्वतंत्र बनाकर खुशी, आनंद में रहने के लिए दिया है
राजयोग केन्द्र कि बी.के. यमुना बहन ने कहा कि मनुष्य को कभी भी अपने उद्देश्य से भटकना नहीं चाहिए। जब तक मनुष्य अपने आप को नहीं पहचान सकता, तब तक वह भटकता रहता है। मनुष्य अपनी इंद्रियों को वश में करके ही सही मार्ग पर चल सकता है। जेलर बहादुर केसी ने कहा कि मनोबल बढ़ाने के लिए मनुष्य को मानसिक कसरत करना जरूरी है। जीवन में परिस्थिति आएगी लेकिन धैर्यता जरूरी है समस्या को शांत करने से महान बनते है
नेपाल नारायणघाट स्कूल ,जेल में नैतिक शिक्षा पर प्रोग्राम
नेपाल नारायणघाट स्कूल ,जेल में नैतिक शिक्षा पर प्रोग्राम
बी के भगवान् भाई ने कहा कि बिगड़ती परिस्थितियों को देखते हुए समाज को सुधारने की बहुत आवश्यकता है। वर्तमान के छात्र भावी समाज हैं। यदि भावी समाज को आदर्श बनाना चाहते हों तो छात्रों को भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक आचरण पर भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षक वही है जो अपने जीवन की धारणाओं से दूसरों को शिक्षा देता है। भगवान भाई ने कहा कि शिक्षा देने के बाद भी यदि बच्चे बिगड़ रहे हैं, उसका अर्थ मूर्तिकार में भी कुछ कमी है। शिक्षकों के केवल पाठ पढ़ाने वाला शिक्षक नहीं बल्कि सारे समाज को श्रेष्ठ मार्गदर्शन देने वाला शिक्षक बनाना है। उन्होंने कहा कि शिक्षक होने के नाते हमारे अंतर सदगुण होना जरुरी
नेपाल नारायांघाट बीरगंज में स्कूल जेल में नैतिक शिक्षा पर प्रोग्राम
इस अवसर पर बी के भगवान् भाई ने कहा कि देश व प्रदेशों में अनेक शैक्षणिक संस्था समर्पित भाव से काम करने के बावजूद आज समाज की यह स्थिति बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि स्कूल से ही समाज के हर क्षेत्र में व्यक्ति जाता है अगर समाज के हर क्षेत्र को सुधारना है तो वर्तमान के छात्र-छात्राओं को नैतिक शिक्षा देने की आवश्कता है। आज बच्चा कल का भावी समाज है। उन्होंने कहा कि सद्गुणों की शिक्षा से ही सदव्यवहार में बदलाव लाया गया जा सकता है। अवगुणों के कारण मानव, मानव में आसूरी प्रवृत्ति पनपती है। नैतिक शिक्षा से ही छात्र-छात्राओं में सशक्तिकरण आ सकता है। उन्होंने आगे बताया कि नैतिकता के बिना जीवन अंधकार में हैं। बी के भगवान् भाई ने कहा कि नैतिक मूल्यों की कमी के कारण अज्ञानता, सामाजिक, कुरीतियां व्यसन, नशा, व्यभिचार आदि के कारण समाज पतन की ओर जाता है। उन्होंने कहा कि जब तक नैतिक मूल्यों से समाज को जागृत नहीं करते तब तक समाज में फैला हुआ अज्ञानता का अंधकार नहीं मिट सकता। वर्तमान परिवेश में सहनशीलता, नम्रता, मधुरता, गंभीरता, ईमादारी, धैर्यता, शांति आदि सद्गुणों की समाज के हर व्यक्ति को बहुत जरूरी है। इन सद्गुणों के आचरण से ही मानव मन में फैले हुए अनेक दुर्गुणों का नाश हो सकता है। भगवान् भाई ने कहा कि आध्यात्मिकता ही नैतिक मूल्यों का स्रोत है। स्वयं को जानना कर्मगति को जानना, सृष्टि के हर प्राणाी मात्र से दया करना, आपस में भाईचारे से रहना ही अध्यात्मिकता है। उन्होंने बताया कि नैतिक पतन विनाश की ओर की ओर ले जाता है। इसीलिए मूल्यों की रक्षा करना ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है। स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग केंद्र की बी के यमुना बहन ने इस अवसर पर कहा कि राजयोग के द्वारा ही हम अपनी इंद्रियों पर संयम कर जीवन के मूल्यों को धा
नेपाल नारायणघाट स्कूल ,जेल में नैतिक शिक्षा पर प्रोग्राम
इस अवसर पर भगवान् भाई ने कहा कि भौतिक शिक्षा से हम रोजगार प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन परिवार, समाज, कार्यस्थल में परेशानी या चुनौती का मुकाबला नहीं कर सकते उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों से व्यक्तित्व में निखार, व्यवहार में सुधार आता है।नैतिक मूल्यों का ह्रास व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय समस्या का मूल कारण है। समाज सुधार के लिए नैतिक मूल्य जरूरी है।उन्होंने कहा कि नैतिक शिक्षा की धारणा से, आंतरिक सशक्तीकरण से इच्छाओं को कम कर भौतिकवाद की आंधी से बचा जा सकता है। व्यक्ति का आचरण उसकी जुबान से ज्यादा तेज बोलता है। लोग जो कुछ आंख से देखते हैं। उसी की नकल करते हैं।
हमारे जीवन में श्रेष्ठ मू््ल्य है तो दूसरे उससे प्रमाणित होते हैं।जीवन में नैतिक मूल्य होंगे तो आदमी लालच, हिंसा, झूठ, कपट का विरोध
करेगा और समाज में परिवर्तन आएगा। उन्होंने कहा नैतिकता से मनोबल कम होता है। मूल्यों की शिक्षा से ही हम जीवन में विपरीत परिस्थिति का सामना कर
सकते हैं। जब तक हम अपने जीवन में मूल्यों और प्राथमिकता का निर्धारण नहीं करेंगे, अपने लिए आचार संहिता नहीं बनाएंगे तब तक हम चुनौतियों का
मुकाबला नहीं कर सकते।
नेपाल राप्ती आंचल सेवाए 2017 जून बी के भगवान् भाई माउंट आबू
प्युठान (बाग्दुला) नेपाल—–में श्री जनता माध्यमिक विद्यालय में नैतिक मूल्यो का जीवन में महत्व पर सेमीनार
आयोजक –स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र प्युठान नेपाल
मुख्य वक्ता —ब्रह्मकुमार भगवान् भाई माउंट आबू
विषय– नैतिक मूल्यो का जीवन में महत्व प्रिंसिपल —श्री देवराज गोतम
बी के मेघराज केसी ब्रह्माकुमारी प्युठान नेपाल
भगवान् भाई ने कहा की सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सर्व समस्याओं का मूल कारण है। विद्यार्थियों का मूल्यांकन आचरण, अनुसरण, लेखन, व्यवहारिक ज्ञान व अन्य बातों के लिए प्रेरणा देने की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि जो शिक्षा विद्यार्थियों को अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बन्धनों से मुक्ति की ओर ले जाए वही शिक्षा है। उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त समाज के लिए संस्कारित शिक्षा जरूरी है।
है।
नेपाल राप्ती आंचल सेवाए 2017 जून बी के भगवान् भाई माउंट आबू
नेपाल राप्ती आंचल सेवाए 2017 जून बी के भगवान् भाई माउंट आबू
सल्यान (नेपाल)– श्री त्रिभुवन जन माध्यमिक विद्यालय सल्यान नेपाल नेपाल में नैतिक मूल्य पर कार्यक्रम
आयोजक –स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र (सल्यान ) नेपाल
मुख्य वक्ता —ब्रह्मकुमार भगवान् भाई माउंट आबू
विषय –- नैतिक मूल्य का जीवन में महत्व
प्राचार्य –श्री
बी के बहन स्थानीय ब्रह्माकुमारी सल्यान (नेपाल )
बी के भगवान् भाई ने कहा कि आध्यात्मिकता को नजरअंदाज किए जाने का ही परिणाम ही है कि आज समाज में नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है। नैतिकता से व्यक्तित्व का विकास संभव है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से आए राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई वे श्री त्रिभुवन जन माध्यमिक विद्यालय सल्यान नेपाल में नैतिक शिक्षा पर छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश व प्रदेशों में अनेक शैक्षणिक संस्था समर्पित भाव से काम करने के बावजूद आज समाज की यह स्थिति बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि स्कूल से ही समाज के हर क्षेत्र में व्यक्ति जाता है अगर समाज के हर क्षेत्र को सुधारना है तो वर्तमान के छात्र-छात्राओं को नैतिक शिक्षा देने की आवश्कता है। आज बच्चा कल का भावी समाज है। उन्होंने कहा कि सद्गुणों की शिक्षा से ही सदव्यवहार में बदलाव लाया गया जा सकता है। अवगुणों के कारण मानव, मानव में आसूरी प्रवृत्ति पनपती है। नैतिक शिक्षा से ही छात्र-छात्राओं में सशक्तिकरण आ सकता है। उन्होंने आगे बताया कि नैतिकता के बिना जीवन अंधकार में हैं। नैतिक मूल्यों की कमी के कारण अज्ञानता, सामाजिक, कुरीतियां व्यसन, नशा, व्यभिचार आदि के कारण समाज पतन की ओर जाता है। उन्होंने कहा कि जब तक नैतिक मूल्यों से समाज को जागृत नहीं करते तब तक समाज में फैला हुआ अज्ञानता का अंधकार नहीं मिट सकता। वर्तमान परिवेश में सहनशीलता, नम्रता, मधुरता, गंभीरता, ईमादारी, धैर्यता, शांति आदि सद्गुणों की समाज के हर व्यक्ति को बहुत जरूरी है। इन सद्गुणों के आचरण से ही मानव मन में फैले हुए अनेक दुर्गुणों का नाश हो सकता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता ही नैतिक मूल्यों का स्रोत है। स्वयं को जानना कर्मगति को जानना, सृष्टि के हर प्राणाी मात्र से दया करना, आपस में भाईचारे से रहना ही अध्यात्मिकता है। उन्होंने बताया कि नैतिक पतन विनाश की ओर की ओर ले जाता है। इसीलिए मूल्यों की रक्षा करना ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है। स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग केंद्र की बीके बहन इस अवसर पर कहा कि राजयोग के द्वारा ही हम अपनी इंद्रियों पर संयम कर जीवन के मूल्यों को धारण कर सकते हैं।