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बालेश्वर (ओड़िसा ) – परमात्म शक्ति द्वारा विश्व परिवर्तन पर कार्यक्रम
नेपाल बागलुग में काली गणडगी टी व्ही चैनेल में बी के भगवान भाई प्रोग्राम और मुलाकात
काश्की पोलिस सशत्र प्रहरी के लिए तनाव मुक्ति प्रोग्राम
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ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउण्ट आबूका राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाइले आधुनिक जीवनशैलीले तनाव पैदा गरिरहेको छ । तनावको सीधा सम्बन्ध बिमारीसँग हुन्छ । राजयोग मेडिटेशनको अभ्यासद्वारा हामीले आफ्नो मनोबललाई मजबूत गरी तनावबाट मुक्त रहन सक्ने बताएका छन् । तनाबबाट बच्नको लागि आफ्नो जीवनशैलीलाई परिवर्तन गर्न आवश्यक छ । तनावको कारण हरेक व्यक्तिको फरक फरक छ । तनावको मुख्य कारण नै मनमा आउने नकारात्मक विचार हो । नकारात्मक विचारबाट आपसी व्यवहारमा कटूता आउँदछ, घृणा, नफरत, वैर, विरोध, क्रोध आदि उत्पन्न हुन्छ । नकारात्मक विचारबाट दृष्टि वा दृष्टिकोण र व्यवहार पनि नकारात्मक बन्दछ जसबाट मनमा तनाव पैदा हुन्छ । तनावको कारण नै मानसिक र शारीरिक अनेक बिमारीहरु हुने संभावना धेरै हुने समेत भगवान भाईले बताए । उनले राजयोगको अभ्यासद्वारा नै मनोबललाई मजबूत गरी तनावबाट मुक्ति पाउन सकिन्छ । राजयोग नै संजीवनी बूटी हो जसको अभ्यास गर्दा आन्तरिक शक्ति जागृत हुन्छ । राजयोगको अभ्यासबाट नै अतिन्द्रिय सुख, सांसारिक वस्तु, वैभवको सुख खल्लो लाग्न थाल्दछ । यसको अभ्यासले मन भट्किन बन्द हुन्छ, मनमा स्थायी एकाग्रता आउँदछ जसबाट मनमा सकारात्मक विचार चल्न सुरु हुन्छ । राजयोगको अनुभूतिको लागि सात्विक भोजन, राम्रो संगत र सकारात्मक चिन्तन गर्न आवश्यक रहेको कुरामा समेत जोड दिए । रामबजार शाखाकी संचालिका ब्रह्माकुमारी गोमा दिदीले शुभकामना शब्द राखी प्रारम्भ भएको सो कार्यक्रमको संचालन ब्रह्माकुमार शंकर भाइले गरेका थिए ।
बाग्लुग नेपाल पोलिस सशस्त्र प्रहरी के लिए तनाव मुक्ति पर प्रोग्राम
ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउण्ट आबूका राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाइले आधुनिक जीवनशैलीले तनाव पैदा गरिरहेको छ । तनावको सीधा सम्बन्ध बिमारीसँग हुन्छ । राजयोग मेडिटेशनको अभ्यासद्वारा हामीले आफ्नो मनोबललाई मजबूत गरी तनावबाट मुक्त रहन सक्ने बताएका छन् । तनाबबाट बच्नको लागि आफ्नो जीवनशैलीलाई परिवर्तन गर्न आवश्यक छ । तनावको कारण हरेक व्यक्तिको फरक फरक छ । तनावको मुख्य कारण नै मनमा आउने नकारात्मक विचार हो । नकारात्मक विचारबाट आपसी व्यवहारमा कटूता आउँदछ, घृणा, नफरत, वैर, विरोध, क्रोध आदि उत्पन्न हुन्छ । नकारात्मक विचारबाट दृष्टि वा दृष्टिकोण र व्यवहार पनि नकारात्मक बन्दछ जसबाट मनमा तनाव पैदा हुन्छ । तनावको कारण नै मानसिक र शारीरिक अनेक बिमारीहरु हुने संभावना धेरै हुने समेत भगवान भाईले बताए । उनले राजयोगको अभ्यासद्वारा नै मनोबललाई मजबूत गरी तनावबाट मुक्ति पाउन सकिन्छ । राजयोग नै संजीवनी बूटी हो जसको अभ्यास गर्दा आन्तरिक शक्ति जागृत हुन्छ । राजयोगको अभ्यासबाट नै अतिन्द्रिय सुख, सांसारिक वस्तु, वैभवको सुख खल्लो लाग्न थाल्दछ । यसको अभ्यासले मन भट्किन बन्द हुन्छ, मनमा स्थायी एकाग्रता आउँदछ जसबाट मनमा सकारात्मक विचार चल्न सुरु हुन्छ । राजयोगको अनुभूतिको लागि सात्विक भोजन, राम्रो संगत र सकारात्मक चिन्तन गर्न आवश्यक रहेको कुरामा समेत जोड दिए । रामबजार शाखाकी संचालिका ब्रह्माकुमारी गोमा दिदीले शुभकामना शब्द राखी प्रारम्भ भएको सो कार्यक्रमको संचालन ब्रह्माकुमार शंकर भाइले गरेका थिए ।
नेपाल सशस्त्र प्रहरी के लिए तनाव मुक्ति पर प्रोग्राम
काफी सख्या में पोलिस जवान भी उपस्थित थे
इस अवसर पर बी के भगवान् भाई ने कहा कि हम पोलिस होने के नाते दुसरो को अनुशासन सिखाते है तो पहले हमे अनुशासन में रहना होगा तनाव का भू बड़ा कर्ण हमारे गलत कर्म इसलिए अपने कर्मो पर ध्यन दे पोलिस होने के नाते हमारे में देश प्रेम हो सत्यता इमानदारी हो कोइ व्यसन नशा न हो माहत्मा गाँधी के पास सत्यता ईमानदारी यह शस्त्र थे जिस बल पर इग्रेजो को भगाया एसे हमे भी स्थूल शस्त्र के साथ गुण रूपी हथियार भी जरूरी है फिजिकली के साथ हमारी मेंटल हेल्थ भी आच्ची हो तब हम देश कि सेवा कर सकेगे उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच द्वारा विपरित परिस्थिति में हलचल से बाख सकते है निराशा में भी आशा की किरण दिखने लगती है। अपनी समस्या को
समाप्त करने एवं सफल जीवन जीने के लिए विचारों को सकारात्मक बनाने की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समस्याओं का कारण ढूढने की बजाए निवारण ढंूढ़े।उन्होंने कहा कि समस्या का चिंतन करने से तनाव की उत्पत्ति होती है। मन के विचारों का प्रभाव वातावरण पेड़-पौधों तथा दूसरों व स्वयं पर पड़ता है।
यदि हमारे विचार सकारात्म है तो उसकासकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि जीवन को रोगमुक्त,दीर्घायु, शांत व सफल बनाने के लिएहमें सबसे
पहले विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए। राजयोगी भगवान भाई ने कहा कि सकारात्मक विचार से समस्या समाधान में बदल जाती है। एक दूसरों के प्रति
सकारातमक विचार रखने से आपसीभाई चारा बना रहता है। उन्होंने सत्संग एवं
आध्यात्मिक ज्ञान को सकारात्मक सोच के लिए जस्री बताते हुए कहा कि हम अपने आत्मबल से अपना मनोबल बढ़ा सकते है। सत्संग के द्वारा प्राप्त ज्ञान
नेपाल सेवा प्रेस न्यूज़
नेपाल बीरगंज स्कूल ,नर्सिग कालेज और नगरपालिका में सेवाए
भगवान भाई ने कहा कि राजयोग के अभ्यास द्वारा सहनशीलता, नम्रता, एकाग्रता, शांति, धैर्यता, अंतर्मुखता ऐसे अनेक सद्गुणों का जीवन में विकास कर सकते है । राजयोग द्वारा ही मन की शांति संभव है। उन्होनें बताया की राजयोग के अभ्यास से अतींद्रिय सुख की प्राप्ति होती हैं । जिन्होनें अतींद्रिय सुख की प्राप्ति कर ली उनको इस संसार के वस्तु, वैभव का सुख फीका लगने लगता हैं ।
राजयोगी भगवान भाई ने अपने अनुभव के आधार से बताया की राजयोग के अभ्यास से विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक चिंतन के द्वारा मन को एकाग्र किया जा सकता है। उन्होनें कहा कि वर्तमान की तनावपूर्ण परिस्थितियों में मन को एकाग्र और शांत रखने के लिए राजयोग संजीवनी बूटी की तरह काम आता हैं ।
उन्होनें कहा की राजयोग द्वारा अपने कर्मेन्द्रियों पर संयम कर कर्म में कुशलता से सकारात्मक चिंतन, सकारात्मक वृति और दृष्टिकोण की उपलब्धि होती हैं जिससे हम ब्यर्थ से बच सकते हैं । भगवान भाई ने कहा की राजयोग के अभ्यास द्वारा तनाव मुक्त बन हम अनेक बीमारियों से स्वंम को बचा सकते हैं। मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचने का राजयोग एक कवच कुंडल हैं। उन्होनें कहा कि राजयोग के द्वारा मन को दिशा निर्देशन मिलती हैं जिससे मन का भटकना समाप्त हो जाता हैं।
उन्होनें राजयोग की विधि बताते हुआ कहा कि स्वंम को आत्मा निश्चय कर चाँद, सूर्य, तारांगण से पार रहनेवाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना, मन-बुद्धि द्वारा उसे देखना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग हैं । राजयोग के द्वारा हम परमात्मा के मिलन का अनुभव कर सकता हैं । उन्होनें कहा की राजयोग के अभ्यास द्वारा ही हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, नफरत आदि मनोविकारों पर जीत प्राप्त कर जीवन को अनेक सद्गुणों से ओतपोत व भरपूर कर सकते हैं।
परमात्म शक्ति द्वारा विश्व का परिवर्तन
भगवान भाई ने कहा कि राजयोग के अभ्यास द्वारा सहनशीलता, नम्रता, एकाग्रता, शांति, धैर्यता, अंतर्मुखता ऐसे अनेक सद्गुणों का जीवन में विकास कर सकते है । राजयोग द्वारा ही मन की शांति संभव है। उन्होनें बताया की राजयोग के अभ्यास से अतींद्रिय सुख की प्राप्ति होती हैं । जिन्होनें अतींद्रिय सुख की प्राप्ति कर ली उनको इस संसार के वस्तु, वैभव का सुख फीका लगने लगता हैं ।
राजयोगी भगवान भाई ने अपने अनुभव के आधार से बताया की राजयोग के अभ्यास से विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक चिंतन के द्वारा मन को एकाग्र किया जा सकता है। उन्होनें कहा कि वर्तमान की तनावपूर्ण परिस्थितियों में मन को एकाग्र और शांत रखने के लिए राजयोग संजीवनी बूटी की तरह काम आता हैं ।
उन्होनें कहा की राजयोग द्वारा अपने कर्मेन्द्रियों पर संयम कर कर्म में कुशलता से सकारात्मक चिंतन, सकारात्मक वृति और दृष्टिकोण की उपलब्धि होती हैं जिससे हम ब्यर्थ से बच सकते हैं । भगवान भाई ने कहा की राजयोग के अभ्यास द्वारा तनाव मुक्त बन हम अनेक बीमारियों से स्वंम को बचा सकते हैं। मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचने का राजयोग एक कवच कुंडल हैं। उन्होनें कहा कि राजयोग के द्वारा मन को दिशा निर्देशन मिलती हैं जिससे मन का भटकना समाप्त हो जाता हैं।
उन्होनें राजयोग की विधि बताते हुआ कहा कि स्वंम को आत्मा निश्चय कर चाँद, सूर्य, तारांगण से पार रहनेवाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना, मन-बुद्धि द्वारा उसे देखना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग हैं । राजयोग के द्वारा हम परमात्मा के मिलन का अनुभव कर सकता हैं । उन्होनें कहा की राजयोग के अभ्यास द्वारा ही हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, नफरत आदि मनोविकारों पर जीत प्राप्त कर जीवन को अनेक सद्गुणों से ओतपोत व भरपूर कर सकते हैं।
नेपाल में हतोंडा के पिस पार्क गार्डन में मेंन गेट का फौन्डेशन डाला गया
वर्तमान समय जितनी भी समस्या हैं उन सबका कारण है नकारात्मक सोच। नकारात्मक सोच से तनाव बढ़ता है। तनाव मुक्त बनने के लिए सकारात्मक विचार संजीवनी बूटी है। सकारात्मक विचार से ही मुक्ति संभव है।यह बातें प्रजापिता ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से आए राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहीं। एकत्रित ईश्वर प्रेमियों को सकारात्मक विचारों से तनाव मुक्ति विषय पर संबोधित किया। भगवान भाई ने कहा कि 19वीं सदी तर्क की थी, 20वीं सदी प्रगति की रही और 21वीं सदी तनाव पूर्ण होगी। ऐसे तनावपूर्ण परिस्थितियों में तनाव से मुक्त होने सकारात्मक विचारों की आवश्यकता है।उन्होंने बताया कि मन में लगातार चलने वाले नकारात्मक विचारों से दिमाग में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ उतरकर शरीर में आ जाते हैं। इनसे अनेक बीमारियां होती हैं। मन के नकारात्मक विचारों से मनोबल, आत्मबल कमजोर बन जाता है।भगवान भाई ने कहा कि जहां तनाव है वहां अनेक समस्याएं बढ़ जाती हैं। तनाव के कारण आपसी मतभेद, टकराव बढ़ जाते हैं। जहां तनाव है वहां मानसिक अशांति के वश होकर मनुष्य व्यसन, नशा, डिप्रेशन के वश हो जाता है। उन्होंने बताया कि मन चलने वाले नकारात्मक विचारों के कारण ही मन में घृण, नफरत, बैर, विरोध, आवेश और क्रोध उत्पन्न होता है।