नेपाल नारायणघाट में स्कूल में नैतिक शिक्षा

बी के भगवान् भाई ने कहा कि बिगड़ती परिस्थितियों को देखते हुए समाज को सुधारने की बहुत आवश्यकता है। वर्तमान के छात्र भावी समाज हैं। यदि भावी समाज को आदर्श बनाना चाहते हों तो छात्रों को भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक आचरण पर भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षक वही है जो अपने जीवन की धारणाओं से दूसरों को शिक्षा देता है। भगवान भाई ने कहा कि शिक्षा देने के बाद भी यदि बच्चे बिगड़ रहे हैं, उसका अर्थ मूर्तिकार में भी कुछ कमी है। शिक्षकों के केवल पाठ पढ़ाने वाला शिक्षक नहीं बल्कि सारे समाज को श्रेष्ठ मार्गदर्शन देने वाला शिक्षक बनाना है। उन्होंने कहा कि शिक्षक होने के नाते हमारे अंतर सदगुण होना जरुरी

नारायणघाट नेपाल राष्ट्रिय शांति हेतु योग भट्टी प्रोग्राम

भगवान भाई ने कहा कि 19वीं सदी तर्क की थी, 20वीं सदी प्रगति की रही और 21वीं सदी तनाव पूर्ण होगी। ऐसे तनावपूर्ण परिस्थितियों में तनाव से मुक्त होने सकारात्मक विचारों की आवश्यकता है।उन्होंने बताया कि मन में लगातार चलने वाले नकारात्मक विचारों से दिमाग में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ उतरकर शरीर में आ जाते हैं। इनसे अनेक बीमारियां होती हैं। मन के नकारात्मक विचारों से मनोबल, आत्मबल कमजोर बन जाता है।भगवान भाई ने कहा कि जहां तनाव है वहां अनेक समस्याएं बढ़ जाती हैं। तनाव के कारण आपसी मतभेद, टकराव बढ़ जाते हैं। जहां तनाव है वहां मानसिक अशांति के वश होकर मनुष्य व्यसन, नशा, डिप्रेशन के वश हो जाता है। उन्होंने बताया कि मन चलने वाले नकारात्मक विचारों के कारण ही मन में घृण, नफरत, बैर, विरोध, आवेश और क्रोध उत्पन्न होता है।

आत्मचिंतन के लिए स्व चिन्तन के विशेष पॉइंटस

बी के भगवान भाई ने स्कुलो में और जेलों (कारागार) में पढ़ाया नैतिक मूल्यों का पाठ


भगवान् भाई ने कहा की मनुष्य जैसा कर्म करता है वैसा उसका फल मिलता है कर्मो से ही व्यक्ति महान बनता या कंगाल भी बनता है। उन्होंने बताया कि वाल्मिकी रामायण लिखने से पूर्व डाकू थे। उन्होंने रामायण ग्रंथ को लिखकर अच्छा कर्म कर महानता हासिल की है। मनुष्य को बड़े कर्म का बड़ा फल मिलता है।
साथ ही व्यक्ति को अपने अंदर देखकर जीवन के उद्देश्य की पहचान करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जीवन की हर घटना के पीछे कुछ न कुछ कल्याण होता है। मनुष्य को अपना मन प्रभु चिंतन में लगाना चाहिए। व्यक्ति को हर घटना पर जो हुआ अच्छा हुआ, जो होगा वह भी अच्छा होगा और जो हो रहा ह,ै वह अच्छा हो रहा है जैसी सोच रखनी चाहिए।
राजयोग केन्द्र के बी.के. मेघराज भाई ने कहा कि मनुष्य को कभी भी अपने उद्देश्य से भटकना नहीं चाहिए। जब तक मनुष्य अपने आप को नहीं पहचान सकता, तब तक वह भटकता रहता है। मनुष्य अपनी इंद्रियों को वश में करके ही सही मार्ग पर चल सकता है। कारगर सुरक्षा गार्ड ओम बी गिरी ने कहा क्रोध से आंतरिक रूप से अकेला, बेसहारा, कमजोर, अपमान जनक महसूस करता है। साथ ही मनुष्य की शांति एकाग्रता भंग हो जाती है। मनोबल बढ़ाने के लिए मनुष्य को मानसिक कसरत करना जरूरी है। जीवन में परिस्थिति आएगी लेकिन धैर्यता जरूरी है समस्या को शं करने से महान बनते है

नेपाल राप्ती आंचल सेवाए 2017 जून बी के भगवान् भाई माउंट आबू

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सल्यान (नेपाल)– श्री त्रिभुवन जन माध्यमिक विद्यालय सल्यान नेपाल नेपाल में नैतिक मूल्य पर कार्यक्रम
आयोजक –स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र (सल्यान ) नेपाल
मुख्य वक्ता —ब्रह्मकुमार भगवान् भाई माउंट आबू
विषय –- नैतिक मूल्य का जीवन में महत्व
प्राचार्य –श्री
बी के बहन स्थानीय ब्रह्माकुमारी सल्यान (नेपाल )
बी के भगवान् भाई ने कहा कि आध्यात्मिकता को नजरअंदाज किए जाने का ही परिणाम ही है कि आज समाज में नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है। नैतिकता से व्यक्तित्व का विकास संभव है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से आए राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई वे श्री त्रिभुवन जन माध्यमिक विद्यालय सल्यान नेपाल में नैतिक शिक्षा पर छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश व प्रदेशों में अनेक शैक्षणिक संस्था समर्पित भाव से काम करने के बावजूद आज समाज की यह स्थिति बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि स्कूल से ही समाज के हर क्षेत्र में व्यक्ति जाता है अगर समाज के हर क्षेत्र को सुधारना है तो वर्तमान के छात्र-छात्राओं को नैतिक शिक्षा देने की आवश्कता है। आज बच्चा कल का भावी समाज है। उन्होंने कहा कि सद्गुणों की शिक्षा से ही सदव्यवहार में बदलाव लाया गया जा सकता है। अवगुणों के कारण मानव, मानव में आसूरी प्रवृत्ति पनपती है। नैतिक शिक्षा से ही छात्र-छात्राओं में सशक्तिकरण आ सकता है। उन्होंने आगे बताया कि नैतिकता के बिना जीवन अंधकार में हैं। नैतिक मूल्यों की कमी के कारण अज्ञानता, सामाजिक, कुरीतियां व्यसन, नशा, व्यभिचार आदि के कारण समाज पतन की ओर जाता है। उन्होंने कहा कि जब तक नैतिक मूल्यों से समाज को जागृत नहीं करते तब तक समाज में फैला हुआ अज्ञानता का अंधकार नहीं मिट सकता। वर्तमान परिवेश में सहनशीलता, नम्रता, मधुरता, गंभीरता, ईमादारी, धैर्यता, शांति आदि सद्गुणों की समाज के हर व्यक्ति को बहुत जरूरी है। इन सद्गुणों के आचरण से ही मानव मन में फैले हुए अनेक दुर्गुणों का नाश हो सकता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता ही नैतिक मूल्यों का स्रोत है। स्वयं को जानना कर्मगति को जानना, सृष्टि के हर प्राणाी मात्र से दया करना, आपस में भाईचारे से रहना ही अध्यात्मिकता है। उन्होंने बताया कि नैतिक पतन विनाश की ओर की ओर ले जाता है। इसीलिए मूल्यों की रक्षा करना ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है। स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग केंद्र की बीके बहन इस अवसर पर कहा कि राजयोग के द्वारा ही हम अपनी इंद्रियों पर संयम कर जीवन के मूल्यों को धारण कर सकते हैं।